श्री गोविन्द दामोदर स्त्रोत्रम्
श्री कृष्ण गोविन्द दामोदर स्त्रोत्रम् इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान श्री कृष्ण भक्तों की पुकार सुन अतिशीघ्र भक्तों की सहायता करने के लिए दौड़े चले आते हैं इसी स्त्रोत का पाठ द्रौपदी ने की थी जब दुशासन भरी सभा में चीरहरण करना चाहता था किंतु भक्तवत्सल भगवान श्री कृष्ण ने भरी सभा में द्रौपदी की लाज बचाई । अग्रे कुरूनाम् अथ पाण्डवानां दुःशासनेनाहृत वस्त्रकेशा । कृष्णा तदाक्रोशदनन्यनाथ गोविंद दामोदर माधवेति ।1।। श्रीकृष्ण विष्णो मधुकैटभारे भक्तानुकम्पिन् भगवन् मुरारे । त्रायस्व मां केशव लोकनाथ गोविन्द दामोदर माधवेति ।।2।। विक्रेतुकामाखिलगोपकन्या मुरारिपादार्पितचित्तवृत्ति:। दध्यादिकं मोहवशादवोचद् गोविन्द दामोदर माधवेति ।।3।। उलूखले सम्भृततण्डुलांश्च संघट्टयन्त्यो मुसलै: प्रमुग्धा: । गायन्ति गोप्यो जनितानुरागा गोविन्द दामोदर माधवेति ।।4।। काचित्कराम्भोजपुटे निषण्णं क्रीडाशुकं किंशुकरक्ततुण्डम् । अध्यापयामास सरोरुहाक्षी गोविन्द दामोदर माधवेति ।।5।। गृहे गृहे गोपवधूसमूह: प्रतिक्षणं...